गधा & इंसान: गधा बोला- मैं हमेशा तैयार रहता हूं, कहीं तुम इंसान भी गधा बनने की कोशिश में तो नहीं हो?
व्यंग्य
जब बात समझदारी और काम करने की आती है, तो कई बार गधे की तुलना इंसानों से की जाती है। लेकिन क्या गधा खुद को इंसानों से कम समझदार मानता है? आइए, समझते हैं गधे और इंसान के बीच की मजेदार बातचीत।
गधा: (गहरी सांस लेते हुए) देखो, इंसान! मुझे तुमसे एक शिकायत है। क्यों बार-बार मेरी तुलना तुमसे करते हो? मैं भी कोई साधारण प्राणी नहीं हूं।
इंसान: (हंसते हुए) अरे भाई, तुम्हें तो आलसी और बेवकूफ समझते हैं, इसीलिए।
गधा: (गुस्से में) आलसी? क्या तुम जानते हो, मैं कितनी मेहनत करता हूं? मेरे पास भी दिमाग है, लेकिन मैं इसे सही समय पर इस्तेमाल करता हूं।
इंसान: (हंसते हुए) वाह, तुम तो सच में खुद को समझदार समझते हो। जब तुम काम से भागते हो, तो यही तो तुम्हारी पहचान बन जाती है।
गधा: (मुस्कुराते हुए) भागता नहीं, मैं “स्ट्रैटेजिक ब्रेक” लेता हूं! तुम इंसानों की तरह हर वक्त काम करने की कोशिश क्यों करते हो? थोड़ा आराम करना सीखो।
इंसान: (चिढ़ाते हुए) आराम तो ठीक है, लेकिन जब तुम अपने मालिक के बोझ से थक जाते हो, तब तो लोग मजाक बनाने लगते हैं।
गधा: (हंसते हुए) और यही तो मेरी शक्ति है। जब मैं काम कर रहा होता हूं, लोग हंसते हैं और मुझे “कामचोर गधा” बुलाते हैं। क्या तुम्हें पता है, ये नाम मुझे भी अच्छा लगता है।
इंसान: (हंसते हुए) तो तुम अपनी मूर्खता को समझदारी में बदलने का दावा कर रहे हो?
गधा: (खुश होकर) बिल्कुल! जब मैं अपने मालिक के साथ चलता हूं, तो मैं हमेशा तैयार रहता हूं। कहीं तुम इंसान भी “गधा” बनने की कोशिश में तो नहीं लगे हो?
इस मजेदार बातचीत से हमें यह सिखने को मिलता है कि खुद पर हंसना और अपनी पहचान को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखना चाहिए। गधा शायद समझदारी में इंसान से कहीं आगे हो!